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खजूर की खेती के लिए सरकार दे रही है सब्सिडी , किसान  कमा सकते है अब ज्यादा मुनाफा

खजूर की खेती के लिए सरकार दे रही है सब्सिडी , किसान कमा सकते है अब ज्यादा मुनाफा

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ,उद्दान विभाग किसानों को खजूर की खेती के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है। इस योजना में 17 जिलों का चयन किया गया है जो, ऑफशॉट और टिश्यू कल्चर तकनीक के जरिये खजूर की खेती करेंगे।  इस योजना में खजूर की खेती करने के लिए किसानों को 75% सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को विभिन्न फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार किसानों को सब्सिडी प्रदान कर रही है , ताकि वो कम लागत पर फसल का उत्पादन कर सके। साथ ही सरकार फलो और सब्जियों के लिए भी सब्सिडी प्रदान कर रही है। 

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना बाड़मेर , चूरू , सिरोही , जैसलमेर , श्रीगंगानगर , हनुमानगढ़ , जोधपुर ,पाली , जालोर ,नौगर ,बीकानेर और झुंझुनू जिलों में शुरू की जाएगी। यदि इन जिलों में को किसान खजूर की खेती करता है , तो उसे इस योजना के तहत लाभ प्रदान किया जायेगा। इसमें टिश्यू और ऑफशॉट तकनीक से उत्पादित खजूर की फसल की रोपाई के लिए किसानों को 75% सब्सिडी प्रदान की जाएगी। 

खजूर की खेती के लिए इन तकनीकों का किया जायेगा इस्तेमाल 

खजूर की खेती के लिए टिश्यू कल्चर और ऑफशॉट तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा। इसमें किसानों को 0.5 से 4 हेक्टेयर की खेती के लिए किसानों को अनुदान दिया जायेगा। इन तकनीकों के द्वारा उगाये पौधे से खजूर के बगीचे तैयार किये जाते है। टिश्यू कल्चर तकनीक से उगाये गए पौधे लगाने पर किसानों को 3000 रुपया प्रति पौधा या इकाई लागत 75% अनुदान दिया जायेगा। यदि किसान ऑफशॉट तकनीक से खजूर की खेती करता है तो 1100 रुपया प्रति पौधा का 75% का मूल्य मिलेगा। खजूर के पौधे खरीदने के साथ साथ , खजूर की जड़ो के जमने पर 1500 रुपए का भी 75% मूल्य प्रदान किया जायेगा। 

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प्रति हेक्टेयर में खजूर की बुवाई के लिए किसानों को 8  नर पौधे और 148 मादा पौधो की जरुरत पड़ेगी। खजूर की मादा किस्मों में शामिल है : बराही , मेडजूल , खद्राबी , खूनेजी , खलास , सागई और हलावी।  यही नर किस्मों में केवल घानामी और अल इन सिटी पर ही सब्सिडी प्रदान की जाएगी। 

सरकार द्वारा रोपड़ सामग्री पर 70 -75 के साथ साथ एक नया बाग़ स्थापित करने करने के लिए लगभग 3.7 लाख रुपए से भी ज्यादा कीमत आती है। खजूर की फसल में बुवाई के 3 साल बाद फल आना शुरू हो जाते है। खजूर की फसल प्रति हेक्टेयर 3000 किलोग्राम के आस पास उत्पादित कर ली जाती है। किसान ताजे फलो को बेचकर एक हेक्टेयर में 4.8 लाख रुपए आसानी से कमा सकते है।  पांच साल बाद खजूर की फसल की उपज ज्यादा हो जाती है , प्रति हेक्टेयर 10 -12 टन की उपज किसान खजूर की फसल से प्राप्त कर सकता है। बाजार भाव के जरिये किसान प्रति हेक्टेयर में 3.5 लाख रुपया का शुद्ध मुनाफा कमा सकता है। 

जैविक खेती से किसान कमा सकते है अधिक उपज जाने सम्पूर्ण जानकारी

जैविक खेती से किसान कमा सकते है अधिक उपज जाने सम्पूर्ण जानकारी

भारत वर्ष में जैविक खेती बहुत पुराने समय से चलती आ रही है। हमारे ग्रांथों में प्रभु कृष्ण और बलराम, जिन्हें हम गोपाल और हलधर कहते हैं, कृषि के साथ-साथ गौपालन भी किया जाता था, जो दोनों बहुत फायदेमंद था, न सिर्फ जानवरों के लिए बल्कि वातावरण के लिए भी. आजादी मिलने तक भारत में यह परम्परागत खेती की जाती रही है। बाद में जनसंख्या विस्फोट ने देश पर उत्पान बढ़ाने का दबाव डाला, जिसके परिणामस्वरूप देश रासयनिक खेती की ओर बढ़ा और अब इसके बुरे परिणाम सामने आने लगे हैं। रासायनिक खेती हानिकारक होने के साथ-साथ बहुत महंगी होती है, जिससे फसल उत्पादन की लागत बढ़ जाती है|

इसलिए देश अब जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है क्योंकि यह स्थायी, सस्ता और स्वावलम्बी है। आइए जानते हैं जैविक खेती क्या है और किसानों को इसे क्यों करना चाहिए।

मिट्टी की सेहत सुधर में केंचुआ का है मुख्य योगदान 

हम सब जानते हैं कि जमीन पर पाए जाने वाले केंचुए आदमी के लिए बहुत उपयोगी हैं। भूमि में पाए जाने वाले केंचुए खेत में पढ़े हुए पेड़-पौधों के अवशेषों और कार्बनिक पदार्थों को खाकर गोलियों में बदल देते हैं, जो पौधों के लिए देशी खाद बनते हैं। इस केंचुए से 2 महीने में कई हैक्टेयर का खाद बनाया जा सकता है। इस खाद को बनाने के लिए आसानी से उपलब्ध खरपतवार, मिटटी और केंचुआ की जरूरत पड़ती है। आइए जानते हैं कि केचुएँ खेत की मिट्टी को कैसे स्वस्थ बनाते हैं।

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जैव कल्चर के माध्यम से बढ़ती है मिट्टी की उर्वरा शक्ति 

जैव कल्चर मिट्टी की उर्वरा शक्ति और फसल उत्पादन क्षमता को बढ़ाते हैं जब भूमि में पड़े पादप अवशेषों को पाचन किया जाता है।उर्वरक अक्सर दलहनी फसलों में नहीं प्रयोग किया जाता है  इसका कारण राइजोबियम कल्चर दलहनी पौधों की जड़ों में पाया जाता है | जो वायुमंडल से नाईट्रोजन लेकर पोषक तत्वों की पूर्ति करता है, लेकिन दलहनी फसलों की जड़ों में राईजोबियम नहीं होता है दलहनी पौधों की जड़ को दूसरी फसलों में प्रयोग करने से नाईट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए क्या किया जा सकता है?

जैविक खेती का पंजीकरण करना है बहुत आवश्यक 

यदि किसान जैविक खेती करता है या करने की कोशिश करता है तो उसे जैविक पंजीयन कराना चाहिए, क्योंकि पंजीयन नहीं होने से किसान को फसल का मूल्य कम मिलता है। क्योंकि आपके पास कोई दस्तावेज नहीं है जो बताता है कि जय की फसल जैविक या रासायनिक है इसलिए कृषि समाधान ने जैविक पंजीयन की पूरी जानकारी प्राप्त की है। जिसमें किसान 1400 रुपये खर्च करके एक हैक्टेयर पंजीकृत कर सकते हैं |

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जैविक खाद बनाने की विधि 

कृषि में अत्यधिक रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशक के उपयोग से बीमारियां और खर्च बढ़ रहे हैं जैविक कृषि को अपनाने से लागत कम होगी और बीमारी कम होगी। इसके लिए किसानों को अपने घर पर देशी खाद और रासायनिक कीटनाशक की जगह देशी कीटनाशक बनाने की जरूरत है। इसके लिए किसानों को खड़ा करने और कीटनाशक बनाने का तरीका आना चाहिए। इसलिए किसानों ने खाद और कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया विकसित की है। गाय के गोबर, गुड और गो मूत्र से तरल जैविक खाद बनाने की आज की कड़ी में जानकारी दी गई है।

जैविक विधि से की जा सकती है फसलों की कीटों और रोगों से रक्षा 

कीट किसी भी फसल में रहते हैं कीट फसल को बहुत नुकसान पहुंचाता है, जो उत्पादन को प्रभावित करता है | इस कीट को नियंत्रित करना आवश्यक है इसलिए किसान समाधान ने जैविक रूप से कीट नियंत्रण के बारे में जानकारी दी है। यह कीटनाशक तम्बाकू, नीम, महुआ, इमली की छाल और तेल से बनाया जाता है। जो सस्ता और आसानी से उपलब्ध है |

जैविक खाद होती है पोषक तत्वों से भरपूर 

फसल की उत्पादकता मिटटी में नाईट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा पर निर्भर करती है। जब मिटटी में पोषक तत्व की कमी होती है, तो उसे बहार से भर दें। यह पोषक तत्व रासायनिक रूप से आसानी से पाया जा सकता है, लेकिन इसकी कीमत अधिक होने से फसल का उत्पादन अधिक महंगा होता है। इसके लिए प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए | जैविक खाद में नाईट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा जानना महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि किसान समाधान सभी खादों में पोषक तत्वों की सूचना लाया है।

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जैविक तरीके से उगाई गयी सब्जियों के किसानों को मिलता है अधिक दाम

जैविक सब्जी और साग की मांग बढ़ गई है | इसकी लागत भी अधिक है | इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि सब्जी में प्रयोग किया गया खाद कीटनाशक गोबर, केंचुआ और अन्य जैविक खाद से बना हो। किसान अपने घर में कीटनाशक और खाद बनाकर जैविक सब्जी और साग उत्पादन कर सकते हैं। किसान समधान ने जैविक सब्जी और साग की खेती की पूरी जानकारी प्राप्त की है। जिससे अच्छा पैसा कमाया जा सकता है

पंजीकृत होना बहुत आवश्यक है 

कृषक जैविक खेती के लिए पंजीकृत होना चाहिए | जिससे फसलों और फलों का अच्छा मूल्य मिल सकता है | केंद्रीय सरकार ने जैविक खेती की प्रमाणिकता देना शुरू कर दिया है | इसके लिए राज्य में एक सरकारी संस्था बनाई गई है | पुरे देश में निजी संस्थानों का भी सहयोग लिया गया है | नियमों के साथ, यह संस्था किसी भी किसान को जैविक प्रमाणिकता देती है। इन सभी संस्थानों के नाम, कार्यालय पत्ता और दूरभाष नंबर दिए गए हैं।

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

इस राज्य में सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है

वर्तमान में संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध है। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदते हैं, तो इस पर उन्हें 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। मध्य प्रदेश की राज्य सरकार किसान भाइयों की आमदनी में इजाफा करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जारी कर रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत किसान भाइयों की खेती करने की तकनीक वैज्ञानिक रूप धारण कर गई है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में कृषकों को कृषि यंत्रों पर अच्छा-खासा अनुदान भी दिया जा रहा है। परंतु, फिलहाल रीवा और सतना जनपद के किसानों के लिए काफी अच्छी खुशखबरी है। यहां के कृषकों को सुपर सीडर मशीन खरीदने के लिए अच्छा-खासा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। 

सुपर सीडर किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित होता है

मीडिया खबरों के अनुसार, सुपर सीडर एक ऐसा यंत्र है, जिसको ट्रैक्टर के साथ जोड़कर खेती-बाड़ी करने के कार्य में लिया जाता है। इस यंत्र का सर्वाधिक इस्तेमाल फसलों की बुवाई करने हेतु किया जाता है। इसके इस्तेमाल से नरवाई की दिक्कत परेशानी दूर हो चुकी है। अब ऐसी स्थिति में गेहूं एवं चने की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर यंत्र बेहद उपयोगी साबित होता है। 

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सुपर सीडर के उपयोग से नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसी फसल के डंठल को नरवाई कहा जाता है। सुपर सीडर धान एवं गेहूं की डंठल को छोटे- छोटे भागों में विभाजित कर मृदा में मिला देता है। अब ऐसी स्थिति में सुपर सीडर मशीन से फसलों की बिजाई करने वाले कृषकों को नरवाई को आग के जरिए जलाना नहीं पड़ता है। इससे प्रदूषण पर भी रोक लगती है। 

सुपर सीडर पर 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा

फिलहाल, संभागीय कृषि अभियांत्रिकी विभाग सतना में किसान भाइयों के लिए सुपर सीडर उपलब्ध हैं। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई सीडर खरीदेंगे तो 40 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा। मुख्य बात यह भी है, कि यह यंत्र एक घंटे में एक एकड़ भूमि में फैले नरवाई को चौपट कर देती है। इसके पश्चात फसलों की बिजाई करती है। धान के उपरांत गेहूं एवं गेंहू के बाग मूंग की खेती करने वाले कृषकों के लिए सुपर सीडर किसी वरदान से कम नहीं है। किसान भाई सुपर सीडर के माध्यम से वर्षभर में अच्छी-खासी आमदनी की जा सकती है। वैसे तो सुपर सीडर की कीमत लगभग 3 लाख रुपये है। परंतु, कृषि विभाग की तरफ से 40 प्रतिशत प्रतिशत अनुदान मिलने के पश्चात इसकी कीमत काफी हद तक कम हो जाती है।

इस राज्य में ट्रैक्टर खरीदने पर सरकार की तरफ से 1 लाख का अनुदान

इस राज्य में ट्रैक्टर खरीदने पर सरकार की तरफ से 1 लाख का अनुदान

कृषि कार्यों में किसानों का सबसे सच्चे साथी ट्रैक्टर कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

खेती में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले यंत्र मतलब कि ट्रैक्टर की खरीद पर कृषकों को मोटा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजना का लाभ हांसिल करने के लिए किसान भाई शीघ्रता से आवेदन करें। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हरियाणा सरकार द्वारा ट्रैक्टर की खरीद पर यह अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। हालांकि, सभी किसान अनुदान का फायदा नहीं उठा पाऐंगे। 

ये केवल अनुसूचित जाति के किसानों के लिए है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति के कृषकों को 45 एचपी व उससे ज्यादा क्षमता वाले ट्रैक्टर पर 1 लाख का अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। 

इसके लिए किसान 26 फरवरी से 11 मार्च तक विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

जानिए किस प्रकार किया जाएगा चयन

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि हर एक जिले में लाभार्थी का चयन गठित जिला स्तरीय कार्यकारी समिति द्वारा ऑनलाइन ड्रॉ के जरिए किया जाएगा। 

चयन के उपरांत चयनित किसान को सूचीबद्ध अनुमोदित निर्माताओं से अपनी प्राथमिकता आधारित ट्रैक्टर मॉडल और मूल्य का चुनाव करके सिर्फ बैंक के जरिए से अपने भाग की कीमत अनुमोदित खाते में जमा करवानी होगी। 

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डिस्ट्रीब्यूटर से किसान के विवरण, बैंक का विवरण, ट्रैक्टर मॉडल, मूल्य की मान्यता के पोर्टल या ई-मेल के जरिए अनुदान ई-वाउचर के लिए प्रार्थना करनी होगी।

पीएमयू और बैंक की जांच के पश्चात डिजिटल ई-वाउचर से मान्यता प्राप्त डिस्ट्रीब्यूटर को जारी किया जाएगा। अनुदान ई-वाउचर प्राप्त होने के शीघ्रोपरान्त किसान को उसकी चुनी हुई ट्रैक्टर के साथ बिल, बीमा, टेम्परेरी नंबर तथा आरसी के आवेदन शुल्क की रसीद इत्यादि दस्तावेजों को विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। 

दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन करना बेहद आवश्यक

जिलास्तरीय कार्यकारी समिति को ट्रैक्टर के समस्त जरूरी दस्तावेजों समेत भौतिक सत्यापन प्रस्तुत करना होगा। समिति सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद भौतिक सत्यापन रिपोर्ट फॉर्म के साथ पोर्टल पर अपलोड करेगी और निदेशालय को ईमेल के माध्यम से सूचित करेगी। निदेशालय स्तर पर जांच के पश्चात अनुदान स्वीकृति ई-वाउचर के जरिए से किसान को जारी करेगा।

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किसान भाई ज्यादा जानकारी हेतु यहां संपर्क करें 

किसान भाई ज्यादा जानकारी के लिए जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक एवं सहायक कृषि अभियंता के कार्यालय से संपर्क साध सकते है। 

साथ ही, इच्छुक किसान कृषि विभाग की वेबसाइट www.agriharyana.gov.in पर जाकर विजिट करें। इसके अतिरिक्त टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 पर भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

कोल्ड स्टोरेज योजना में सरकारी सहायता पच्चास प्रतिशत तक

कोल्ड स्टोरेज योजना में सरकारी सहायता पच्चास प्रतिशत तक

हर साल भण्डारण की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों के लाखों करोड़ों का कृषि उत्पाद नष्ट हो जाता है. किसानों को ही इसका खामियाजा उठाना पड़ता है और काफी आर्थिक क्षति होती है. विगत वर्ष देश के कई क्षेत्रों में किसानों को फल सब्जियां औने पौने दाम में बेचना पड़ा और कई जगहों पर प्याज, टमाटर सहित अन्य फल और सब्जियों को नाले और कूड़े पर फेंकते देखा गया था. इस बर्बादी को बचाने और किसानों के कृषि उत्पाद के सही ढंग से भण्डारण के लिए केंद्र सरकार एक योजना लाई है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके. इस योजना का नाम है एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture (MIDH)).

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत कोल्ड स्टोरेज अनुदान

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) खोलने के लिए सरकार किसानों को 50 फीसदी अनुदान देती है. कृषि व किसान कल्याण विभाग, बागवानी के एकीकृत विकास मिशन (एमआईडीएच) के माध्यम से कोल्ड स्टोरेज की स्थापना सहित विभिन्न बागवानी के कार्यों के लिए सरकार की ओर से वित्तीय सहायता दी जाती है.

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कोल्ड स्टोरेज के लिए सब्सिडी

किसानों में यह भ्रम होता है की कोल्ड स्टोरेज के लिए सरकार लोन देती है. लेकिन यहाँ स्पष्ट करना जरूरी है की सरकार कोल्ड स्टोरेज के लिए कोइ लोन नहीं देती है. इसके लिए क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड सब्सिडी (Credit Linked Back Ended Subsidy) दी जाती है. इस सब्सिडी में भी क्षेत्रवार अंतर होता है. मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए सब्सिडी में भिन्नता होती है. मैदानी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35 फीसदी की दर से सब्सिडी दी जाती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50 फीसदी की दर से सब्सिडी दी जाती है. पूर्वोत्तर इलाकों में एक हजार मीट्रिक टन से ज्यादा क्षमता वाली परियोजना को भी सब्सिडी का लाभ दिया जाता है.

कोल्ड स्टोरेज के लिए कितना मिलता है अनुदान ?

  • 15 लाख रुपए तक के कोल्ड रूम (स्टेंटिक) यूनिट के लागत पर 5.25 लाख रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप 1 यूनिट लागत 4 करोड़ रुपए पर 1.40 करोड़ रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप-1 (अनुसूचित क्षेत्र) लागत 4 करोड़ रुपए पर 2 करोड़ रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप-2 (वैकल्पिक प्रौद्योगिकी सामान्य क्षेत्र) लागत 35 लाख रुपए पर 12.25 लाख रुपए


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कोल्ड स्टोरेज के लिए पात्रता

  • किसान व्यक्ति,उपभोक्ताओं/उत्पादकों का समूह, किसान उत्पादक संगठन
  • स्वामित्व/ भगीदारी फर्म, गैर सरकारी संगठन, स्वयं सहायता समूह, कम्पनियाँ, निगम.
  • कृषि उत्पादन विपणन समितियां, विपणन बोर्ड/ समितियां, नगर निगम, समितियां, कृषि उद्योग निगम, सहकारी समितियां, सहकारी विपणन संघ एवं अन्य सम्बंधित अनुसंधान एवं विकास संगठन.

कोल्ड स्टोरेज के लिए कहाँ करें आवेदन ?

कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के लिए आवेदन हेतु एकीकृत बागवानी विकास मिशन के जिला कार्यालय में पदस्थापित उप संचालक, सहायक संचालक उद्यान से बृहत् जानकारी ली जा सकती है. आवेदन प्रस्ताव जिला कार्यालय में जमा करना होगा. प्राप्त प्रस्ताव आवेदन को 'पहले आओ पहले पाओ ' के आधार पर स्वीकार किया जाता है. योजना में आवेदन के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट http://nhb.gov.in/OnlineApplication/RegistrationForm.aspx पर जाकर आवेदन किया जा सकता है.

कोल्ड स्टोरेज के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • स्व-सत्यापित पैन कार्ड/ वोटर कार्ड
  • स्व-सत्यापित आधार कार्ड
  • कम्पनी/ सोसाईटी/ ट्रस्ट/ पार्टनरशिप फर्म का पंजीकरण प्रमाण पत्र
  • एससी के लिए जाति प्रमाण पत्र और एसटी के लिए स्वप्रमाणित प्रमाण पत्र
  • व्यक्तिगत किसान के लिए परियोजना भूमि आवेदक किसान के नाम से होना आवश्यक होगा.
  • आवेदक परियोजना भूमि में संयुक्त मालिकों में से एक होगा, तो अनापत्ति प्रमाण पत्र
  • साझेदारी फर्म के लिए यदि भूमि की मल्कियत साझेदारों में से किसी एक की हो, तो भूमि मालिक साझेदार की ओर से शपथ पत्र देगा की परियोजना की जमीन वापस नहीं लेगा, बिक्री या हस्तानान्तरण नहीं करेगा.
  • भूमि पर कब्ज़ा प्रमाण पत्र
  • परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट
प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हमेशा अनिश्चितताएं बनी रहती हैं। कभी भी मौसम की मार किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर सकती है। मौसम की बेरुखी के कारण किसानों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ता है।

अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो देश भर में मौसम ने अपना कहर बरपाया है, जिससे लाखों किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई दिनों तक चली बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें तबाह हो गईं। 

सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं, चना, मसूर और सरसों की फसलों को हुआ है। ऐसे नुकसान से बचने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई आसानी से की जा सकती है।

लेकिन कई बार देखा गया है कि किसान इस योजना के साथ नहीं जुड़ते। ऐसे में किसानों को सरकार अपने स्तर पर अनुदान देती है ताकि किसान अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। 

किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार की सरकार ने 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' चलाई है। इस योजना के तहत यदि किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो सरकार अनुदान के रूप में किसानों को 13,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। 

यह मदद ऐसे किसानों को दी जाएगी जो सिंचित इलाकों में खेती करते हों। इसके साथ ही 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' के अंतर्गत असिंचित इलाकों में खेती करने वाले किसानों को फसल नुकसान पर 6,800 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। 

राज्य के ऐसे कई इलाके हैं जहां पर नदियों से आने वाली रेत के कारण फसल चौपट हो जाती है। ऐसे किसानों को फसल नुकसान पर 12,200 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ये किसान कर सकते हैं आवेदन

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी है। इसके साथ ही किसान के पास खुद की कम से कम 2 हेक्टेयर कृषि भूमि होना चाहिए। 

डीबीटी के माध्यम से अनुदान ट्रांसफर करने में आसानी हो, इसके लिए किसान का बैंक खाता उसके आधार कार्ड नंबर से लिंक होना चाहिए। 

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योजना का लाभ लेने के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, वोटर आई डी, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, घोषणा पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि होना जरूरी है। इन सभी चीजों का विवरण आवेदन करते समय देना अनिवार्य है।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाले नुकसान का अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान भाई बिहार के कृषि विभाग की वेबसाइट https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

इस वेबसाइट पर जाकर किसान खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय, वसुधा केंद्र या जन सेवा केंद्र पर भी संपर्क कर सकते हैं।

इस राज्य में आमदनी दोगुनी करने वाली तकनीक के लिए दिया जा रहा 50 % अनुदान

इस राज्य में आमदनी दोगुनी करने वाली तकनीक के लिए दिया जा रहा 50 % अनुदान

छत्तीसगढ़ राज्य के कृषक बड़े पैमाने पर शेडनेट तकनीक द्वारा फूलों का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी भी काफी बढ़ गई है। किसान केवल पारंपरिक फसलों की खेती से हटकर फूल उगाकर भी अच्छी आमदनी कर सकते हैं। फूलों की मांग भारत सहित पूरी दुनियाभर में है। यदि किसान भाई शेडनेट तकनीक से फूलों का उत्पादन करें, तब उनको अधिक आमदनी होगी। इस तकनीक से जरिए वर्षभर एक ही खेत में फूल का उत्पादन किया जा सकता है। शेडनेट तकनीक में खर्चा भी कम आता है। ऐसी स्थिति में किसान भाई शेडनेट तकनीक का उपयोग करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के अनुसार, छत्तीसगढ़ के किसान बड़े पैमाने पर शेडनेट तकनीक द्वारा फूलों का उत्पादन कर रहे हैं। नतीजतन, उनकी आमदनी भी काफी बढ़ चुकी है। साथ ही, इस तकनीक के चलते फूलों की पैदावार भी बढ़ गई है। विशेष बात यह है, कि यहां के कृषक शेडनेट के अतिरिक्त पॉली हाऊस, ड्रिप और मच्लिंग तकनीक द्वारा भी फूलों की खेती कर रहे हैं। इन किसानों द्वारा उत्पादित फूलों की मांग हैदराबाद, भुवनेश्वर, अमरावती और नागपुर जैसे बड़े शहरों में भरपूर है। 

शेडनेट तकनीक किसानों की मेहनत कम कर देती है

फूलों की खेती करने के लिए शेडनेट तकनीक बेहद फायदेमंद है। इस तकनीक के उपयोग से खेती करने पर फसल में कीट संक्रमण और रोगिक भय नहीं रहता है। अब ऐसी स्थिति में फूलों की पैदावार एवं गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता हैं। विशेष बात यह है, कि दीर्घकाल तक एक ही स्थान पर फसल के लगे रहने से कृषकों को परिश्रम कम करना पड़ता है। इससे उनकी आमदनी भी दोगुनी हो जाती है। 

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छत्तीसगढ़ सरकार शेडनेट तकनीक के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

जानकारों के अनुसार, इस तकनीक का उपयोग गर्मी से पौधों को संरक्षण देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। शेडनेट के अंतर्गत आप गर्मी के मौसम में नहीं उगने वाले पौधों का भी उत्पादन कर सकते हैं। साथ ही, बारिश के मौसम में भी शेडनेट के कारण फूल सुरक्षित रहते हैं। परंतु, फिलहाल छत्तीसगढ़ सरकार अपने प्रदेश में इस तकनीक के माध्यम से खेती करने वाले कृषकों को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार इसके लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत संरक्षित खेती हेतु 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। इस योजना के चलते किसान भाई ज्यादा से ज्यादा 4000 वर्गमीटर में शेडनेट स्थापित कर सकते हैं। 

किसान लगभग 10 लाख रुपये तक की आमदनी कर रही है

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जनपद के डोंगरगढ़ विकासखंड में किसान शेडनेट तकनीक के इतेमाल से बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं। बतादें, कि ग्राम कोलिहापुरी के किसान गिरीश देवांगन ने जरबेरा, रजनीगंधा और गुलाब की खेती कर रखी है। इससे वर्षभर में लगभग 10 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। गिरीश देवांगन के अनुसार, उनके गांव में उत्पादित किए जाने वाले फूलों की अधिकांश मांग सजावट के उद्देश्य से हो रही है। इसके अतिरिक्त भुवनेश्वर, हैदराबाद, अमरावती एवं नागपुर में भी इस गांव से फूलों का निर्यात किया जा रहा है।

यह राज्य सरकार कृषकों को कृषि यंत्र खरीद पर अच्छा-खासा अनुदान प्रदान कर रही है

यह राज्य सरकार कृषकों को कृषि यंत्र खरीद पर अच्छा-खासा अनुदान प्रदान कर रही है

मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों के हित में ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृष उपकरणों और मशीनों को खरीदने पर 30 से 50 फीसद तक अनुदान मुहैय्या करा रही है। आधुनिक दौर में खेती विज्ञान पर आधारित हो चुकी है। खेती को सुगम और सरल बनाने कि लिए प्रतिदिन नवीनतम मशीनों का आविष्कार किया जा रहा है। इन मशीनों के इस्तेमाल से वक्त की भी बचत होती है। साथ ही, खेती पर किए जाने वाले खर्चे में भी काफी सहूलियत मिलती है। इन्हीं वजहों के चलते अलग- अलग राज्य सरकारें अपने- अपने राज्यों में कृषि यंत्रों की खरीद हेतु बेहतरीन अनुदान देती हैं। जिससे किसान भाईयों को खेती करने में किसी भी तरह की कोई समस्या ना हो पाए। कृषि जागरण के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृषि मशीनों की खरीद पर अच्छी-खासी सब्सिडी देने की घोषणा की है। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार भी इस बात से सहमत है, कि वर्तमान में खेती तकनीक पर आधारित हो गई है। अगर किसान भाइयों को आधुनिक और नवीन मशीनों की खरीद पर आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की जाए, तो बाकी राज्यों के कृषकों से पीछे रह जाएंगे। दरअसल, कृषि यंत्र अत्यंत महंगे मिलते हैं। समस्त किसान इन्हें खरीदने के लिए सक्षम नहीं होते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर एमपी सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान प्रदान करने का निर्णय लिया है।

इन यंत्रों की खरीद पर कितने प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा

मध्य प्रदेश सरकार ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के अंतर्गत कृषि ऊपकरणों एवं मशीनों की खरीद पर 30 से 50 प्रतिशत तक अनुदान मुहैय्या करा रही है। इससे कृषकों को श्रू मास्टर, मल्चर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, सुपर सीडर, क्रॉप रीपर, हैप्पी सीडर और जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर की खरीद करने पर 40 से 60 हजार रुपये का अनुदान मुहैय्या करा रही है। साथ ही, मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से अनुदान की घोषणा करने पर किसानों के मध्य प्रशन्नता की लहर है। किसान भाइयों को यह उम्मीद जताई है, कि इन यंत्रों की सहायता से खेती करने पर अच्छी उपज मिल सकेगी।

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जितने भी विकसित देश हैं सब मशीनों के सहयोग से खेती करते हैं

आज की तारीख में जितने भी विकसित देश हैं, वहां यंत्रों एवं मशीनों की सहायता से खेती-किसानी की जा रही है। रूस, अमेरिका और कनाड़ा समेत बहुत सारे विकसित देशों में किसान अकेले ही यंत्र की सहायता से सैंकड़ों एकड़ में उत्पादन कर रहे हैं। अगर भारत में समस्त किसानों के पास कृषि यंत्र की उपलब्धता हो जाए, तब यहां के कृषक भी पश्चिमी देशों के किसानों की भाँति बेहतरीन ढंग से खेती कर सकेंगे। बतादें, कि मध्य प्रदेश के अतिरिक्त दूसरे प्रदेश भी कृषि यंत्रों की खरीद पर वक्त-वक्त पर अनुदान मुहैय्या करा देते हैं। साथ ही, विगत फरवरी माह में पंजाब सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद करने पर 50 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की थी। जनरल कैटेगरी में आने वाले किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान धनराशि प्रदान की जा रही थी। साथ ही, बाकी श्रेणी के कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान था।
ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 6500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान

ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 6500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान

बिहार सरकार किसानों के हर संभव लाभ हेतु निरंतर कदम उठा रही है। फिलहाल, राज्य सरकार की तरफ से किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ का अनुदान देने की घोषणा की है। इससे किसानों को काफी सहूलियत प्राप्त हुई है। जैसा कि हम जानते हैं, कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। क्योंकि, भारत की बड़ी जनसँख्या खेती पर अपने जीवन यापन या आजीविका के लिए निर्भर है। खेती में रसायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी वजह से खेती की उर्वरकता काफी तेजी से समाप्त हो रही है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार का प्रयास रहता है, कि किसान खेतों में कैमिकल फर्टिलाइजर का प्रयोग कम करें। इससे खेती की पैदावार दीर्घकाल तक बनी रहेगी। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने की विभिन्न कोशिशें कर रही हैं। इस प्रकार की खेती करने के लिए किसानों को रिझाया भी जा रहा है। बिहार सरकार आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए बड़ा कदम उठा रही है।

बिहार में आर्गेनिक खेती से आय में होगा इजाफा

बिहार में आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कदम उठा रही है। अब कृषि विभाग ने ऐलान किया है, कि राज्य में जैविक खेती करने वाले कृषकों की आर्थिक मदद करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। आर्गेनिक खेती से भी किसान को सहायता मिलेगी। इससे जहां पैदावार में वृद्धि आएगी। वहीं, पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचेगा।

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6500 रुपये प्रति एकड़ तक अनुदान मुहैय्या किया जाएगा

बिहार के कृषि विभाग का कहना है, कि जैविक प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किसानों की सहायता की जा रही है। इसके अंतर्गत आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को 6500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। यह धनराशि 2.5 एकड़ तक के कृषकों के लिए है। यूँ समझ लिजिए कि अगर किसान 5 या 10 एकड़ भी खेती करते हैं, तो उनको केवल 2.5 एकड़ के लिए ही सहायता प्रदान की जाएगी। किसान को 16 हजार 250 रुपये प्रोत्साहन धनराशि के तौर पर मुहैय्या कराए जाएंगे। किसी भी प्रकार की मन में शंका है, तो टॉल फ्री नंबर 1800-180- 1551 पर भी कॉल कर सहायता ली जा सकती है।

आर्गेनिक खेती करने से क्या क्या फायदे होते हैं

भारत के अंदर प्राचीन समय से ही जैविक खेती ही की जाती थी। परंतु, ज्यादा उत्पादन एवं अतिशीघ्र फसल की चाहना में अंधाधुंध रसायनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले खेतों में उर्वरकों के रूप में गाय एवं मवेशियों के गोबर का इस्तेमाल होता था। इससे पैदावार काफी अच्छे स्तर से बढ़ती थी। भूमि की उर्वरकता भी काफी बेहतर रहती है। केंद्र और राज्य सरकार का यही प्रयास रहा है, कि किसान खेती की उसी प्राचीन परंपरा को पुनः सुचारू करें।
इस राज्य के किसानों को मिलेगा सोलर पंप पर अब 75% प्रतिशत अनुदान

इस राज्य के किसानों को मिलेगा सोलर पंप पर अब 75% प्रतिशत अनुदान

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि पीएम कुसुुम योजना केंद्र सरकार की बेहतरीन योजनाओं में से एक महत्वपूर्ण योजना है। फिलहाल, इसके अंतर्गत किसान भाइयों को 75 प्रतिशत अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। इसकी मदद से किसान भाइयों को बेहद सस्ती दरों पर अपने खेतों में सोलर पंप लगवाने में सहायता मिलेगी। खेती-किसानी के लिए जितना आवश्यक मृदा का उपयुक्त होना है। उतना ही बेहतर बीजों का होना भी रहता है। इनके न होने पर फसल पर काफी बुरा असर पड़ता है। साथ ही, जल रहित कृषि की कल्पना करना भी मुश्किल होता है। खरीफ सीजन की फसलें सामान्यतः जल के अभाव का सामना करती हैं। धान और गन्ना की फसलों को अधिकांश जल की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की सहायता के लिए खड़ी होती हैं। किसानों को सिंचाई के लिए विभिन्न संसाधन मुहैय्या कराए जाते हैं। किसानोें का सिंचाई पर ज्यादा खर्चा ना हो पाए, इसके संबंध में एक राज्य सरकार बड़ी सहूलियत दे रही है।

हरियाणा सरकार की तरफ से किसानों को सिंचाई के लिए 75 % अनुदान

हरियाणा सरकार की तरफ से किसानों के हित में सिंचाई पर अनुदान दिया जा रहा है। केंद्र सरकार के स्तर से देश के तमाम राज्यों के कृषकों की सहायता कर रही है। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा एवं सुरक्षा उत्थान महाभियान के अंतर्गत हरियाणा राज्य सरकार किसानों को 75 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। ये भी पढ़े: किसानों के लिए खत्म होगा बिजली का संकट, 2 हजार यूनिट बिजली मिलेगी मुफ़्त

पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत 60 प्रतिशत तक अनुदान

केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री कुसुम योजना चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत कृषकों को 60 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाता है। इसके अंतर्गत किसानों को अपने खेतों पर सोलर पंप लगवाने के खर्चे का 30 प्रतिशत तक कर्ज प्रदान करती है। कृषकों को सोलर प्लांट लगाने सिर्फ 10 प्रतिशत तक खर्चा करनी पड़ेगी।

75 प्रतिशत सब्सिडी किस पर मिलेगी

हरियाणा सरकार ने पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को बड़ी सहूलियत प्रदान की है। एक से 10 हॉर्स पॉवर बिजली आधारित कृषि ट्यूबवेल आवेदकों को 75 प्रतिशत तक अनुदानित दर पर सौर पंप उपलब्ध कराया जाएगा।

आवेदन की आखरी तिथि 15 मई तक है

पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत पंजीकरण की प्रक्रिया चालू हो गई है। 28 अप्रैल से पोर्टल पर आवेदन चालू कर दिया है। किसान भाई आवेदन की आखरी तिथि तक 15 मई तक ही कर सकते हैं। आवेदन में लगभग एक सप्ताह का वक्त रह गया है। पीएम कुसुम योजना के लिए आवेदक आधिकारिक वेबसाइट pmkusum.hareda.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य में कोल्ड स्टोरेज यूनिट की स्थापना हेतु किसानों को अनुदान देने का निर्णय किया गया है। बिहार राज्य में पारंपरिक खेती समेत बागवानी फसलों का भी उत्पादन किया जाता है। बिहार राज्य के किसान सेब, अंगूर, केला, अनार, आम और अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। इससे कृषकों की आय में काफी बढ़ोत्तरी भी हुई है। परंतु, कोल्ड स्टोरेज के अभाव की वजह से किसान उतना ज्यादा लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार द्वारा इस परेशानी को दूर करने के लिए किसानों के फायदे हेतु बड़ा निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में बागवानी फसलों की खेती में अत्यधिक गति आएगी। साथ ही, कृषकों की आमदनी में भी इजाफा हो सकता है।

कोल्ड स्टोरेज से किसानों को काफी फायदा होगा

बिहार सरकार ऐसा मानती है, कि कोल्ड स्टोरेज होने से किसानों की आमदनी बढ़ जाएगी। बाजार में कम भाव होने पर वह अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज में स्टोर कर सकते हैं। जैसे ही भाव में वृद्धि आएगी, वह इसको बाजार में बेच सकते हैं। इससे अच्छा भाव मिलने से किसानों की आमदनी निश्चित रूप से बढ़ेगी। वैसे भी कोल्ड स्टोर के भीतर बहुत दिनों तक खाद्य पदार्थ बेकार नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाई हरी सब्जियों एवं फल की तुड़ाई करने के उपरांत कोल्ड स्टोरेज में रखेंगे तो फसलों का खराब होना भी कम हो पाएगा। साथ ही, काफी समय तक वह खराब नहीं होंगे।

बिहार सरकार किसानों को 4000 रुपये अनुदान स्वरूप प्रदान करेगी

बिहार सरकार द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के चलते कोल्ड स्टोरेज यूनिट (टाइप-1) की स्थापना करने के लिए 8000 रुपये की लागत धनराशि तय की गई है। बिहार सरकार की तरफ से इसके लिए किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में कृषकों को 4000 रुपये मुफ्त में प्राप्त होंगे। जो किसान भाई इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो वह कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

आम उत्पादन के मामले में बिहार कौन-से स्थान पर है

जानकारी के लिए बतादें, कि बिहार में बागवानी की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। आम के उत्पादन के मामले में बिहार पूरे भारत में चौथे स्थान पर आता है। तो उधर लीची की पैदावार के मामले में बिहार का प्रथम स्थान पर है। मुज्फ्फरपुर की शाही लीची पूरी दुनिया में मशहूर है। बतादें, कि इसके स्वाद की कोई टक्कर नहीं है। इसके उपयोग से जूस एवं महंगी- महंगी शराबें तैयार की जाती हैं।
पीएम प्रणाम योजना को मिली मंजूरी, केंद्र सरकार खास पैकेज के रूप में 3.7 लाख करोड़ करेगी खर्च

पीएम प्रणाम योजना को मिली मंजूरी, केंद्र सरकार खास पैकेज के रूप में 3.7 लाख करोड़ करेगी खर्च

यूरिया सब्सिडी स्कीम को 31 मार्च 2025 तक जारी रखने के लिए कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। इसके अतिरिक्त मृदा की उत्पादकता को बढ़ाने एवं खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी विभिन्न योजनाओं को स्वीकृति मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक के दौरान केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित में विभिन्न महत्वपूर्ण निर्णय लिए। केंद्रीय कैबिनेट ने सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत को हरी झंडी दे दी। सल्फर कोटेड यूरिया को यूरिया गोल्ड के नाम से जाना जाएगा। इससे पूर्व सरकार नीम कोटेड यूरिया भी लेकर आ चुकी है। साथ ही, सरकार ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाने का भी फैसला किया है। साथ ही, यूरिया सब्सिडी स्कीम को 31 मार्च 2025 तक जारी रखने के लिए कैबिनेट से हरी झंडी मिल चुकी है। इसके अतिरिक्त मृदा की उत्पादकता को बढ़ाने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु भी विभिन्न योजनाओं को मंजूरी मिली है। साथ ही, कचरे से पैसा बनाने के लिए मार्केट डेवलपमेंट अस्सिटेंस के लिए 1451 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया गया है। वहीं, पराली एवं गोबर्धन पौधों से ऑर्गेनिक खाद बना कर मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाया जाएगा।

पंजाब में सबसे ज्यादा खाद का इस्तेमाल किया जाता है

कैबिनेट बैठक के उपरांत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है, कि जो राज्य सरकारें कम उर्वरकों का उपयोग करेंगी, उनको केंद्र की तरफ से प्रोत्साहन दिया जाएगा। विशेष बात यह है, कि पंजाब खाद का इस्तेमाल करने में नंबर वन राज्य है। इसने पहले के तुलनात्मक 10 प्रतिशत ज्यादा उर्वरक का इस्तेमाल किया है, जबकि पैदावार में गिरावट आई है। ये भी पढ़े: इस राज्य में किसान कीटनाशक और उर्वरक की जगह देशी दारू का छिड़काव कर रहे हैं

किसानों के लिए 3.7 लाख करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की घोषणा

साथ ही, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडविया ने कहा है, कि कैबिनेट ने किसानों के लिए 3.7 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की है। साथ ही, बैठक में पीएम प्रणाम योजना के नाम से एक योजना चालू करने का फैसला लिया गया है। इस योजना के अंतर्गत यदि कोई राज्य रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का उपयोग करता है, तो सब्सिडी पर होने वाली बचत राशि को उसी राज्य को प्रोत्साहन के रूप में दिया जाएगा।

केंद्र सरकार सल्फर कोटेड यूरिया हेतु 370000 करोड़ रुपये का खर्चा करेगी

जानकारों के मुताबिक, सल्फर कोटेड यूरिया का उपयोग करने से किसानों को काफी लाभ मिलेगा। साथ ही, उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी। केंद्र सरकार आगामी 3 साल में सल्फर कोटेड यूरिया के ऊपर 370000 करोड़ रुपये का खर्चा करेगी। फिलहाल, भारत में 12 करोड़ किसान उर्वरक उपयोग कर रहे हैं। औसतन केंद्र सरकार प्रत्येक किसानों को 21233 रुपये उर्वरक सब्सिडी के तौर पर देती है। मुख्य बात यह है, कि विगत एक वर्ष में केंद्र सरकार द्वारा 12 करोड़ किसानों को उर्वरक सब्सिडी के रूप में 630000 करोड़ रुपये दिया है। वर्तमान में भारत खाद की मांग को पूर्ण करने हेतु दूसरे देश से 70 से 80 लाख मीट्रिक टन फर्टिलाइजर आयात करता है।